बुधवार, 14 सितंबर 2011

राष्ट्रीय खेल का ये कैसा सम्मान ?





राष्ट्रीय खेल का ये कैसा सम्मान ?

भारतीय हॉकी पिछले कई वर्षो से विवादो की वजह से चर्चा में रही है। खिलाडिय़ों से ज्यादा हॉकी में अधिकारियों व फेडरेशन के विवाद पीछा छोडऩे का नाम नही ले रहे है। ऐसे में एशियन चैंपियन्स ट्राफी में भारत की जीत एक सुखद आश्चर्य की तरह आई है। इस जीत से पता चलता है कि भारत में प्रतिभा कि कमी नहीं है, बस जरूरत है हॉकी प्रशासन को पटरी पर लाने कि। एशियन चैंपियंस ट्राफी में भारत का परचम लहराने वाली इस युवा टीम ने पूरे टूर्नामेंट में एक भी मैच नहीं हारी। वही फाइनल में भारत ने परंपरागत प्रतिद्वंदी पाकिस्तान को 4-2 से हराकर खिताब अपने नाम किया। पाकिस्तान से जीत भारतीय हॉकी प्रेमियों के लिए आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितनी वह 50 साल पहले थी। भारतीयों को इस जीत की खुशी देने वाले भारतीय हॉकी टीम को प्रोत्साहन राशि के रुप में 25 हजार रुपये प्रत्येक खिलाड़ी को दिए जाने की बात ·ही गई जिसे खिलाडिय़ों ने लेने से इंकार कर दिया है। इंकार करे भी क्यों न, अगर क्रिकेट होता तो क्या प्रोत्साहन राशि इसी प्रकार होती? क्या राष्ट्रीय खेल होने का यही मतलब होता है? क्या राज्यों की ओर से चुप्पी छाई रहेगी? क्या हमारे प्रतिभावान हॉकी खिलाडिय़ों के साथ ऐसा ही मजाक आए दिन होता रहेगा? जिस देश में ही इस खेल का जन्म हुआ हो उसी देश में ही उस खेल की ऐसी बदहाल हालत को  देखकर अब तरस आती हैं। हर रोज हॉकी की बेहतरी के  लिए खबरे छपती रहती है, नयी-नयी घोषणाएं होती है पर ऐसी हालत को देखकर यही लगता है कि ये घोषणाए महज फाइलों तक ही सीमित रहती है। विजेता टीम के साथ ये इनामी राशि मजाक जैसा है। विजेता टीम खुद खेल मंत्री के इन खोखले दावे से निराश है जिसमें खेल मंत्री ने राष्ट्रीय खेल को फिर से नई बुलंदियों तक  पहुंचाने कि बात कि है।
विजेता टीम के ·कप्तान खुद कहते है कि खेल मंत्री हमारी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे हैं और यह मानते है कि यह इनामी राशि मौजूदा खिलाडियों के मनोबल को बढ़ाने के लिहाज से कम है। हॉकी खिलाडिय़ों को दी गई इनामी राशि न केवल मौजूदा खिलाडिय़ों को प्रेरित करने लायक होनी चाहिए बल्कि भावी पीढ़ी को इस खेल कि ओर आकर्षित करने के लिहाज से भी उपयुक्त होनी चाहिए। एक  तरफ 1983 के बाद विश्वकप का सूखा खत्म करने वाली भारतीय क्रिकेट टीम पर धनों और सम्मानों कि बारिश शुरू हो गई थी। बीसीसीआई ने तो मैच खत्म होने के बाद ही नगद इनामों की घोषणा कर दी थी व विभिन्न राज्यों सहित रेल मंत्रालय ने भी टीम इंडिया के  खिलाडिय़ों पर धनवर्षा करने में कोई ·कसर नही छोड़ी थी पर हमारे राष्ट्रीय खेल के खिलाडिय़ों के साथ ऐसा पझपात पूर्ण रवैया समझ से परे हैं। हॉकी के साथ बरसों से ऐसा सौतेला व्यवहार होता रहा है। फिर भी इस दिशा में कोई ठोस पहल होते नही दिख रहा हैं। सरकार को अब हॉकी खिलाडिय़ो के सुविधाओं में वृद्धि करनी होगी व हॉकी की  बेहतरी के लिए कार्य करना होगा। तब ही हमारे राष्ट्रीय खेल की बुनियाद मजबूत होगी। व हम इस खेल में एक बार फिर सिरमौर होंगे।

1 टिप्पणी:

  1. hockey ko mazak bana diya hai,sarkari dakhal ne to bachi khuchi kasar bhi poori kar di.pehle cricket ne dimak ki tarah chat liya aur baki dhun ki tarah asso ke padadhikari khokhla karte rahe.bhagvan hi malik hai,bas itna hi kaha ja sakta haiki koi lauta de meri hockey ke sunhare din.

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